अंदाज़ तेरे मुकरने का

1 Part

353 times read

3 Liked

तेरे  शहर में रहना न आया मुझे। अंदाज़ तेरा मुकरने का न भाया मुझे। घने शज़र हैं तेरे शहर की राहों में। एक पत्ता भी दे सका कभी न छाया मुझे। ...

×